गांधी परिवार के बाहर के किसी आदमी के द्वारा कांग्रेस को संभालना बहुत चुनौतीपूर्ण काम है। क्योंकि, कांग्रेस तमाम दांव-पेंच वाले नेताओं की जननी रही है। ऐसे में किसी आम परिवार से निकले नेता का नेतृत्व स्वीकारने में कांग्रेसियों का ईगो हर्ट होने लगता है। फिर भी राहुल गांधी ने जिस तरह से अपने अध्यक्ष बनने की बात को नकारा है, उस स्थिति में अशोक गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए सबसे बेहतर विकल्प होंगे। अशोक गहलोत अध्यक्ष बनने के लिए तैयार भी हैं, लेकिन वे राजस्थान की जमीन नहीं खोना चाहते। हालांकि, दिग्गी राजा और राहुल गांधी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एक व्यक्ति, एक पद का फॉर्मूला उनको मानना ही पड़ेगा।
दरअसल, राजस्थान में गहलोत साहब के लिए कांग्रेस के शीर्ष नेता पद पर बने रहना साधारण बात नहीं है। आज राजस्थान की सियासी आबादी में चार जातियों- जाट, मीणा, राजपूत और गुर्जर का वर्चस्व है। वहीं, आजादी के बाद से मण्डल काल तक ब्राह्मणों का भी राजस्थान की राजनीति में अच्छा दखल था। दिलचस्प है कि अशोक गहलोत इन पांचों जातियों में से किसी से नहीं आते। फिर भी वे न सिर्फ तीसरी बार कांग्रेस की तरफ से राजस्थान के मुख्यमंत्री बने हैं, बल्कि राजस्थान की बड़ी आबादी के बीच लोकप्रिय बने हुए हैं।
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