लोकसभा चुनाव 2024 भारत की लोकतांत्रिक राजनीति का महत्वपूर्ण अध्याय होगा। मैंने 2019 में कई जगह लिखा था कि नरेंद्र मोदी को कोई सेल्फमेड नेता ही हरा सकता है। मेरे जैसों की सुनता कौन है। कांग्रेस ने 2019 में भी राहुल गांधी को ही प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पेश किया। नतीजा क्या हुआ, यह हम सभी ने देखा।
निश्चित तौर पर राहुल गांधी एक अच्छे इंसान हैं, लेकिन सेल्फमेड नेता नहीं हैं। दिलचस्प यह है कि आज 2022 में भी प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस उसी संशय की स्थिति में है। विपक्ष में शामिल बाकी के क्षेत्रीय दलों के नेताओं की भी अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं। लेकिन, एक दफा फिर कह रहा हूं कि नरेंद्र मोदी की सरकार की तमाम मनमानियों के बावजूद,
यदि विपक्ष को उनके विजयरथ को रोकना है, तो विपक्ष के सभी दलों को अपने तमाम ईगो (स्वार्थ), भेद, दूरियों को त्याग कर एक सेल्फमेड नेता के पीछे 2023 के जनवरी से पहले एकजुट होना होगा। 'संघे शक्ति कलियुगे' को आत्मसात करना होगा। यही मंत्र नरेंद्र मोदी की भी ताक़त है।
बीते दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा को जिस प्रकार का झटका दिया है, निश्चित रूप से विपक्ष के लिए वे एक बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं। भाजपा, अपने सारे कबूतर, तोते, चूहे आदि लगा कर भी नीतीश कुमार को बेईमान, भ्रष्ट, जातिवादी, हिंदू विरोधी, मुस्लिम परस्त जैसे विशेषणों से नहीं नवाज सकती है। बिहार को आज रुकता और झुकता पुर कोई कितना भी कह ले, लेकिन नीतीश कुमार ने बिहार को विकास की पटरी पर लाकर खड़ा किया है।
ऊपर से नीतीश कुमार उस कृषक कुल के चिराग हैं, जिसकी आबादी देश में सर्वाधिक है। वे न सिर्फ डिग्री से इंजीनियर हैं, बल्कि वे सोशल और रिलिजियस इंजीनियर भी हैं। भाजपा के साथ 20 साल रहे, लेकिन कोई नीतीश कुमार को सांप्रदायिक नहीं ठहरा सकता है। वे पिछड़े वर्ग से आते हैं, लेकिन उनके काम के आधार पर उनको कोई सवर्ण विरोधी नहीं ठहरा सकता है। बिहार के अतिपिछड़े वर्ग को नीतीश कुमार ने ऐसी राजनीतिक ताक़त दे दी है, जिसकी कल्पना कर्पूरी ठाकुर जी ने की थी।
इन सबके बावजूद बिहार में बहुत सी कमियां हैं। कमियां तो खोजने से चांद में भी मिल जाती हैं, लेकिन नीतीश कुमार न सिर्फ सेल्फमेड नेता हैं, बल्कि सेल्फमेड मुख्यमंत्री भी हैं। जो उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाना चाहते हैं, उन्हें ही नीतीश जी को मुख्यमंत्री स्वीकारना पड़ जाता है। यह नीतीश कुमार की ऐसी ताक़त है, जो उन्हें यूनिक बनाती है।
मैं तो यही कहूंगा कि यदि सच में विपक्ष को नरेंद्र मोदी सरकार की मनमानी से मुक्ति चाहिए तो कोलकाता के मैदान से विपक्ष एकजुट होक नीतीश कुमार को 2024 का अर्जुन बनाने की घोषणा कर दे। अगर विपक्ष ऐसा नहीं कर पाती है, तो नरेंद्र मोदी की विजय पताका को लहराने से रोक पाना शायद ही संभव हो।
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